SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

Shiv chaisa - An Overview

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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य shiv chalisa in hindi है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं Shiv chaisa - भजन

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